Tuesday 6 March 2012

ABLA JIVAN HAYE TUMAHRI YHI KAHNI

आज ६ मार्च २०१२ और मै अखिल भारतीय अधिकार संघटना आपके साथ महिला दिवस से सिर्फ दो दिन पहले एक ऐसी सच्ची कहानी ???????????????? माफ़ कीजियेगा कहानी इस लिए कहा क्यों कि इस देश में जिन्दा आदमी को भी कहनी कह कर भी परोसा जाता है और मै तो उस नन्ही कली की कहानी लेकर  आपके सामने आ रहा हूँ  जो आज सुबह ही ऐसी गहरी नींद में सो गई जहा से कोई चाह कर भी नही उठा सकता है पर कोई बात नही आप महिला दिवस पर जोर से चिल्ला कर जरुर कहियेगा कि मै सब बकवास कर रहा हूँ इस  देश की महिला ने अन्तरिक्ष में कदनम रख दिया है , वह राष्ट्रपति बन गई है , प्रधान मंत्री , मुख्या मंत्री बन गई हा पर इन सब के बीच सबसे बड़ा ननगा सच यही है की आज इस देश की एक आम महिला सिर्फ इस लिए मौत से प्रेम करके महा यात्रा पर निकल गई क्योकि  जिन्दा रहते उसको किसी ने जिन्दा माना ही नही .....आपको याद होगा मैंने ५ तारीख को महिला पर एक लेख लिख कर आपको एक ऐसी लड़की की कहनी सुनाई थी जिसे ससुराल वालो ने दुबला ख कर लड़के के जन्म के बाद भगा दिया था और वह अपने माता पिता के घर रह रही थी पर अपने अपमान की आग में जलती उस २२ वर्षीय लड़की को जीने की कोई इच्छा ही नही रह गई थी और वह न जाने कितने रोगों का शिकार हो गई , मैंने भी अखिल भारतीय अधिकार संगठन  के उद्देश्यों के अनुरूप उसके इलाज में पूरी मदद की पर किडनी इस कदर ख़राब हो चुकी थी कि उसका बचना नामुमकिन था और इस बेच में वह लड़की अपने बच्चे से मिलने के लिए अंतिम सांस तक विनती करती रही पर उत्तर प्रदेश में औरत के लिए क्या सच है यह सामने था , वह अबच्चे से नही मिल पी , महंगी दवाओ ने पहले ही उसके जीवन को अलविदा कह दिया और आज करीब रात ३ बजे उस लड़की कि माँ ने मुझे बुला कर कहा कि भैया देखा बिटिया बोल नही रही है , मैंने उसकी आँख देखि , पैर के तलवों पर चाभी से खरोचा पर वो शांत पड़ी रही मनो ख रही हो अब क्या फायेदा और किस लिए मुझे जिन्दा ढ़कना कहते थे .क्या जीते जी कभी कोई भारत का मनुष्य आया मेरे जीवन को समेटने  के लिए .क्या फायेदा इस देश में महिला दिवस का अगर शहर के अन्दर लडकी इस तरह दम तोड़ रही है तो गाँव और जंगलो में क्या हो रहा होगा कहने की जरूरत नही है .....सचमे हम सब काफी आगे निकल गए है और कहनी यही समाप्त नही होती है आज जब उसके मरने की खबर उसके ससुराल वालो को दी गीतों वो लाश वाली गदिलेकर तुरंत आ गए और कहने लगे की हम इस अपने घर ले जायेंगे और वही से मिटटी करेंगे ....पुरुष यह भी अपनी करनी से बाज़ नही आया ....उसने सोचा कि कम से कम उसके घर के चारो ओर के लोग यह जान ले कि किशन की पत्नी मर गई और फिर वह दूसरी लड़की से ब्याह करने के लिए प्रस्तुत हो सके ...क्योकि भारत में जो मरी वह राशन की दुकान पर खड़े किसी ग्रहक से ज्यादा कुछ नही थी अब वो दुनिया में नही है तो अगला ग्राहक पानी लड़की का देने के लिए तैयार है ......यही कड़वा सच है इस देश में औरत का अगर आपको ऐसा लगे कि मै सच ख रहा हूँ तो खुबसूरत लडकियों कि फोटो को लिखे करने वालो एक बार उस लड़की को भी श्रधांजलि दे देना जो शायद एक लड्किथि , जिसका दिल सुंदर था पर पानी पिने कि तरह पुरुष उससे ऊब गया थ और आज वो शरीर का पिंजड़ा छोड़ कर जा चुकी थी .....अखिल भारतीय अधिकार संगठन  पूरे भारत की तरफ से उस नन्ही कली की आत्मा शांति दे ..........डॉ आलोक चान्टिया

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